Book Description
रास्ते न भी हों तो निर्माण करना पड़ता है, हौसला न भी हो तो, हाथ डालना पड़ता है, उन हौसलों को सलाम, जिनके आसरे उन राहों को चुना, जिनपर जिला से पहले कोई न चला हो, हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर नगर, जिला बिलासपुर का रहने वाला युवक साधारण बी ए करने के बाद, कुछ नाटकों और युवा समारोहों में भाग लेने के बाद, उस समय के पंजाब विश्वविद्यालय में इंडियन थियेटर विभाग में बतौर प्रशिक्षु छात्र अपनी प्रतिभा के बल पर चयनित हो गया, वर्ष था 1972, विभाग में विभागाध्यक्ष थे सुप्रसिद्ध नाटककार, प्रोफेसर बलवंत गार्गी जी, रंगमंच की विस्तृत दुनियाँ में एक वर्ष का समय वैसे तो कुछ नहीं होता, पर गार्गी सर के दिन रात एक कर देने से, एक वर्ष में चौगुना पढ़ाई और वर्कशॉप से व्यक्ति में अदबी गुणों का समावेश हो गया, जिनसे आगे चलकर जनसम्पर्क विभाग में नौकरी भी मिली और शोहरत भी.
लेखन पत्रकारिता मंच संचालन और आपसी सहयोग एवं साहित्य में नाटक कविता लेखन से वास्ता घनिष्ठ रहा. सेवानिवृत्ति के बाद अब पूर्ण रूप से कविता से जुड़ जाना, मेरा सौभाग्य है.
19 जून 1951 को जन्म, बिलासपुर लेकिन पुराना जो अब गोबिंद सागर झील में डूब गया है, आधुनिक विकास की प्रथम भेंट के रूप में जलमग्न हो चुका है, पिता श्री स्वर्गीय शालिग्राम, माता श्रीमती रामेश्वरी जी के घर में हुआ था. पिता श्री उर्दू (फ़ारसी), हिन्दी व संस्कृत के ज्ञाता थे. घर में शायरी और साहित्यिक चर्चाओं का वातावरण था, इनके मित्र गण कई बार मुझे कविताएँ सिखाकर रटाकर मजा लेते थे और दूसरे दिन सुनते भी थे.
साफ आसमान, समतल रास्ते, कहीं भी निकल जाओ पहुँचोगे कहीं न कहीं अवश्य. स्कूल कॉलेज में शौक नाटक का कविता पढ़ने सुनाने का, दिल में तूफान नयी रचना का नया धरातल तोड़ने का.
नौकरी मिली, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग में, मनपसन्द थी तो 37 वर्ष उसी में टिका रहा, सेवानिवृत्त हुआ एवं रिटॉयर्ड डी पी आर ओ के रूप में जाना जाता हूँ. वैसे तो व्याकुल हूँ क्योंकि रचनाकार का व्याकुल होना आवश्यक होता है, पर संतुष्ट भी रहता हूँ कि अब कुछ नया कर रहा हूँ.
जीवन में इन लोगों की लम्बी फेहरिस्त है जिनमें परिवार के बंधु बांधव, कुछ पत्रकार मित्र,कुछ स्वर्गीय कुछ अब भी जीवित हैं शेष हैं, जिन्होंने अपने प्यार स्नेह व मार्गदर्शन से मेरे करियर को बनाया, संवारा है, इन सभी को मेरा हार्दिक धन्यवाद और स्वर्गीय महान आत्माओं को श्रद्धांजलि भी,
सहचरी धर्मपत्नी रंजना सोहर साहित्य की गूढ़ शिक्षक रही हैं, उनका हृदयतल से आभार,
अपने कार्यकाल के दौरान, हिमाचल प्रदेश के नाहन /सिरमौर , ऊना , मंडी , बिलासपुर, हमीरपुर, कुल्लू एवं लाहौल स्पिति में अपनी सेवायें दी हैं.
कविता लोक सदैव आलोक में पल्लवित होता है, अंधेरों में नहीं,, विद्यार्थी जीवन में साप्ताहिक हिंदोस्तान, धर्मयुग, दिनमान आदि प्रिय पत्रिकायें रही.
अपने करियर के दौरान कुल्लू के डिप्टी कमिश्नर रहे स्वर्गीय जीवानंद जीवन, आई ए एस, जी नें राज्य सरकार की उच्च स्तरीय बैठक में तत्कालीन राष्ट्रपति श्री आर वेंकटरमण के मनाली प्रवास के दौरान नागरिक अभिनन्दन समारोह के मंच संचालन के उत्तरदायित्व के लिए मेरा नाम अग्रेषित किया जिसे मान लिया गया. विभाग में प्रेस कवरेज के लिए भी उत्तरदायित्व सौंपा. मंडी जिला के जिलाधीश श्री तरुण श्रीधर जी ने राज्य सरकार की सहमति से गणतंत्र दिवस पर सराहनीय सेवाओं के लिए सम्मानित किया .
ईश्वर कृपा से कविताएँ रची गयीं तो जो संग्रह हुआ उसको प्रकाशित करने का आग्रह साहित्यकार समाज से होने लगा अतः प्रस्तुत संग्रह " सबरंग " धरातल पर आया, मेरा यह संग्रह अब सुधीजनों के समक्ष प्रस्तुत है, आशा है आशीर्वाद मिलेगा.
सादर आभार.